पर्यावरण संबंधी वस्तुओं के संदर्भ में बाजार तंत्र की विफलता। Failure of the Market Mechanism in Environmental Goods, Download pdf & notes. What is market failure?
Market failure in environmental goods: Hello friends, today we tell you what is mean by market failure? What is market failure and what are its causes? What do you understand by failure? Going to tell about etc.
पर्यावरण संबंधी वस्तुओं के संदर्भ में बाजार तंत्र की विफलता :
(i) बाजार तंत्र :- बाजार तंत्र (Market Mechanism) पूँजीबादी अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषता है। पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में प्रत्येक आर्थिक निर्णय की स्थिति के अनुसार लिए जाते है।
उदाहरण के लिए वस्तु की कीमत का निर्धारण बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के वस्तु की मांग व पूर्ति के आधार पर होता है। बाजार तंत्र उस समय सफल होता है जब Production and Consumption इस प्रकार किये जाते है कि सीमांत सामाजिक लाभ तथा सीमांत सामाजिक लागत एक- दूसरे के बराबर हो जाए। यदि किसी कारण वश सीमांत सामाजिक लाभ सीमांत सामाजिक लागत एक-दूसरे के बराबर नहीं होते है तो Market Mechanism विफल हो जाता है। पर्यावरण से संबंधित बस्तुओं की स्थिति में बाजार तंत्र की विफलता की समस्या अधिक उत्पन्न होती है। बाजार तंत्र की विफलत का मुख्य कारण बाहरी प्रभाव या बाह्यताएँ है।
(ii) बाहरी प्रभाव (External Influences) :-
जब किसी एक व्यक्ति या संस्था की उत्पादन या उपभोग संबंधी गतिविधियाँ से किसी दूसरे व्यक्ति या उस संस्था को लाभ या हानि पहुँचती है। तथा उस लाभ या हानि के बदले कोई क्षतिपूर्ति नहीं की जाती है। तो External Influences उत्पन्न होते है। इसे तीसरा पक्ष प्रभाव भी कहा जाता है। बाहरी प्रभाव दो प्रकार के होते है :-
Market Failure in Environmental Goods – धनात्मक बाहरी प्रभाव :-
जब किसी व्यक्ति या संस्था की आर्थिक गतिविधियों से दूसरे व्यक्ति या संस्था को लाभ पहुँचता है। तथा इस लाभ के बदले में वह संस्था कोई भुगतान नहीं करती है तो धनात्मक बाहरी प्रभाव उत्पन्न होता है। धनात्मक बाहरी प्रभाव दो प्रकार के होते है:-
- उत्पादन संबंधी धनात्मक बाहरी प्रभाव :-
जब किसी एक व्यक्ति या संस्था की उत्पादन संबंधी गतिविधियों से किसी दूसरे व्यक्ति या संस्था को लाभ पहुँचे तथा इस लाभ के बदले कोई भुगतान नहीं किया जाता है तो उत्पादन संबंधी धनात्मक बाहरी प्रभाव उत्पन्न होते है। - उपभोग संबंधी धनात्मक बाहरी प्रभाव :-
जब किसी एक व्यक्ति या संस्था की उपभोग संबंधी गतिविधियों से किसी दूसरे व्यक्ति या संस्था को लाभ पहुँचे तथा प्राप्तकर्ता इसके बदले में कोई भुगतान न करें तो मेउपभोग संबंधी धनात्मक बाहरी प्रभाव उत्पन्न होते है।
Failure of the market mechanism with respect to environmental goods
ऋणात्मक बाहरी प्रभाव :-
जब किसी एक व्यक्ति या संस्था की- आर्थिक क्रियाओं से दूसरे व्यक्ति या संस्था को हानि पहुँचती है। तथा इस हानि के बदले उसे कोई क्षतिपूर्ति नहीं दी जाती है। इसे ऋणात्मक बाहरी प्रभाव कहते है। यह भी दो प्रकार का होता है:-
- उपभोग संबंधी ऋणात्मक बाहरी प्रभाव :-
जब किसी एक व्यक्ति या संस्था की उपभोग संबंधी गतिविधियों से किसी दूसरे व्यक्ति या संस्था को हानि पहुँचे। तथा हानि उठाने वालों को इसके बदले में कोई भुगतान न करे। तो उपभोग संबंधी ऋणात्मक बाहरी प्रभाव उत्पन्न होते है। - उत्पादन संबंधी ऋणात्मक बाहरी प्रभाव :-
किसी एक व्यक्ति या संस्था की उत्पादन संबंधी गतिविधियों से किसी दूसरे व्यक्ति या संस्था को हानि पहुँचे तथा हानि प्राप्त कर्ता को इसके बदले में कोई भुगतान न मिले। तो उत्पादन संबंधी ऋणात्मक बाहरी प्रभाव उत्पन्न होते है। - बाहरी प्रभावों की स्थिति में बाजार तंत्र की विफलता:-★ बाहरी प्रभावों की स्थिति में :-बाहरी प्रभावों के उत्पन्न होने के कारण सामाजिक लाभ व नीजि लाभ में तथा सामाजिक लागत व निजी लागत में असमानता उत्पन्न हो जाती है। जिसके कारण सामाजिक लाभ व सामाजिक लागत एक-दूसरे के बराबर नहीं हो पाते है। तथा बाजार तंत्र विफल हो जाता है। इसे निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है:-
धनात्मक बाहरी प्रभाव तथा बाजार तंत्र की विफलता :-
धनात्मक बाहरी प्रभाव का संबंध लाभ से है। इस स्थिति में सामाजिक लाभ, निजी लाभ से अधिक होते है। इस
स्थिति में यह मान लिया जाता है। कि सामाजिक लागत व निजी लागत एक दूसरे के बराबर है। अर्थात्
सामाजिक लाभ = निजी लाभ + धनात्मक बाहरी प्रभाव
अतः = सामाजिक लाभ > निजी लाभ
सामाजिक लागत = निजी लागत
धनात्मक बाहरी प्रभाव की स्थिति में बाजार तन्त्र की विफलता को निम्न चित्र के द्वारा दर्शाया जा सकता है –
Failure of the market mechanism with respect to environmental goods – Picture

परन्तु जैसा कि धनात्मक बाहरी प्रभाव उत्पन होते है। अत: सामाजिक लाभ निजी लाभ से अधिक होगे । अत: समाज की दृष्टि से संतुलन का बिन्द्र E होगा। जहाँ पूर्ति बल SS तथा मांग बहुत D,D एक – दूसरे को काटते है। इस स्थिति में MSB – MSC तथा संतुलन बिन्दु E यह स्पष्ट करता है कि समाज के दृष्टिकोण से OQ उत्पादन किया जाना चाहिए। ताकि बाज़ार तंत्र सफल हो परंतु निजी क्षेत्र बाहरी प्रभावों को अनदेखा करके केवल OQ मात्रा में उत्पादन करता है। उत्पादन के आवश्यकता से कम रहने के कारण बाजार तंत्र विफल हो जाता है।
Market Failure in Environmental Goods – ऋणात्मक बाहरी प्रभाव
2. ऋणात्मक बाहरी प्रभाव:- (Negative Externalities)
ऋणात्मक बाहरी प्रभावों की स्थिति में सामाजिक लागत निजी से अधिक होती है। तथा इस स्थिति में यह मान लिया जाता है कि निजी लाभ व सामाजिक लाभ एक-दूसरे के बराबर ऋणात्मक बाहरी प्रभावों की स्थिति में बाजार तंत्र की विफलताओं को निम्न चित्र दुवारा दर्शाया जा सकता है :-चित्रानुसार बिन्दु E पर MSB = MSC अर्थात् इस स्थिति में बाजार तंत्र सफल है तथा OQ मात्रा में उत्पादन किया जा रहा है। बिन्दु E , पर MPB = MPC अर्थात् निजी लाभ व निजी लागत बराबर है।
सामाजिक लागत > निजी लागत
सामाजिक लाभ = निजी लाभ
इस स्थिति में निजी क्षेत्र OQ, मात्रा में उत्पादन कर रहा है। अत: स्पष्ट है कि निजी क्षेत्र बाज़ार तंत्र की सफलता आवश्यक उत्पादन OQ से अधिक उत्पादन OQ , कर रहा है। जिसके कारण बाजार तंत्र विफल हो रहा है।
बाजार तंत्र की विफलता के कारण :-
Due to failure of market mechanism : पर्यावरण संबंधी वस्तुओं के संदर्भ में बाजार तंत्र की विफलता के निम्नलिखित कारण है:-
- 1. पर्यावरण संबंधी वस्तुओं का सामाजिक मूल्य निर्धारित करने से संबंधित कोई नियम नहीं है। उदाहरण के लिए वायु का मूल्य किसी व्यक्ति \ मनुष्य के लिए कितना हो सकता है। यह निर्धारित नहीं हो सकता है। निश्चित मूल्य निर्धारित न होने के कारण वायु के सही व गलत प्रयोग (प्रदूषण) की लागत को निर्धारित करना संभव नहीं होता है।
- 2. पर्यावरण संबंधी कुछ वस्तुओं का तो बजारीकरण किया जा सकता है। (बाजार में खरीदना या बेचना ) जैसे वनों की लकड़ी को बेचना । परंतु बहुत से पर्यावरण पदार्थों को बाजार में खरीदा या बेचा नहीं जा सकता । इन पदार्थों की स्थिति में बाहरी प्रभाव उत्पन्न होते है।
- 3. पर्यावरण संबंधी व पदार्थों जहां सभी लोगों की ये रोक-टोक बहुत संभव होती है। उन वस्तुओं की स्थिति में बाहरी प्रभाव अवश्य उत्पन्न होते है। क्योंकि उन वस्तुओं का आवश्यकता से अधिक प्रयोग होता है।
- 4. बाहरी प्रभाव उत्पन्न होने का एक अन्य कारण है कि लोगों को अपनी आर्थिक गतिविधियों के पर्यावरण पर पड़ने वाले बुरे प्रभावों की जानकारी नहीं होती है। इसलिए वे पर्यावरण को प्रभावित करने वाले तत्वों को कम प्रयोग के बारे में सोचते ही नहीं है।
OR
पर्यावरण संबंधी वस्तुओं के संदर्भ में बाजार तंत्र की विफलता में –
- 1. पर्यावरण संबंधी अधिकतर वस्तुओं का बाजारीकरण नहीं हो सकता है जिसके कारण इनकी निश्चित कीमत निर्धारित नहीं हो सकती।
- 2. प्रकृति के कुछ साधन ऐसे होते है। जहाँ लोगों की वे – रोकटोक पहुँच होती है। ऐसे साधनों की जरूरत से अधिक प्रयोग होता है। तथा ऋणात्मक बाहरी प्रभाव उत्पन्न होते है।
- 3. बाजार तंत्र की विफलता का मुख्य कारण यह है। कि लोगों जो पर्यावरण प्रदूषण / इसके प्रभावों / इसके बचावों आदि के बारे में जानकारी नहीं होती है। तथा वे जाने अनजाने में बाहरी प्रभाव उत्पन्न करते है।
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बाजार तंत्र की विफलता का समाधान:-
जैसा कि बाजार तंत्र की विफलता (Failure of the market mechanism) का मुख्य कारण बाहरी प्रभाव होते है। अतः यदि बाहरी प्रभावों को समाप्त कर दिया जाए। तो बाजार तंत्र की विफलता को दूर किया जा सकता है। बाहरी प्रभावों की समस्या को दूर करने की प्रक्रिया को आन्तरीकरण (Internalization) कहा जाता है।
आन्तरीकरण की मुख्य विधियाँ निम्नलिखित है:-
- सरकार द्वारा कर लगाना।
- निषेध आज्ञा द्वारा समाधान। ( फैक्ट्री )
- करों तथा आर्थिक सहायता दुवारा सहायता ।
- सम्पति अधिकारों को परिभाषित करना । (पर्यावरण की वस्तुएँ )
- बाहरी प्रभावों के लिए अधिकारों की ब्रिकी।
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